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Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF Hindi Download
PDF Name | ॐ जय जगदीश हरे आरती (Om Jai Jagdish Hare Aarti pdf) |
Last Update | May 2023 |
Language | हिंदी |
PDF Category | धार्मिक |
PDF Size | 0.81 MB |
ॐ जय जगदीश हरे आरती PDF | Download |
ओम जय जगदीश हरे आरती डाउनलोडPDF का अर्थ क्या है?
इस वाक्य का अर्थ होता है भगवान विष्णु अंतर्यामी है और वह अपने भक्तों पर कृपा करें| इस आरती के जरिए भगवान के भक्त भगवान से कामना करते हैं कि उनके सुख दुख में हमेशा साथ रहे| यह आरती भगवान विष्णु और भक्तों के बीच एक सेतु का कार्य करती है|
ॐ जय जगदीश हरे आरती के लेखक कौन है?
इस आरती के लेखक श्रद्धाराम शर्मा जी हैं, यह जालंधर के रहने वाले थे इनका जन्म 30 सितंबर 1837 ई. में हुआ था | फिल्लौरी जी एक प्रसिद्ध विद्वान के साथ-साथ समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं हिंदी के पहले उपन्यासकार भी थे|
ओम जय जगदीश हरे आरती इन हिंदी (Om Jai Jagdish Hare Aarti )
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
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ओम जय जगदीश हरे आरती डाउनलोड Om Jai Jagdish Hare Aarti Download
Sukanya Yojna Form Hindi PDF |सुकन्या योजना हिंदी फॉर्म PDF: ॐ जय जगदीश हरे आरती इन हिंदी (Om Jai Jagdish Hare Aarti PDF) HindiOm Jai Jagdish Hare Aarti Pdf English
Om jai Jagdish hare
Swami jai Jagdish hare
Bhakt jano ke sankat
Daas jano ke sankat
Kshan men door kare
Om jai Jagdish hare
Jo dhiave phal pave
Dukh bin se mann ka
Swami dukh bin se mann ka
Sukh sampati ghar aave
Sukh sampati ghar aave
Kasht mite tan ka
Om jai Jagdish hare
Mat pita tum mere
Sharan padun main kiski
Swami sharan padun mein kiski
Tum bin aur na dooja
Prabhu bin aur na dooja
Aas karun mein jiski
Om jai Jagdish hare
Tum puran Parmatama
Tum Antaryaami
Swami tum Antaryaami
Par Brahm Parmeshwar
Par Brahm Parmeshwar
Tum sabke swami
Om jai Jagdish hare
Tum karuna ke sagar
Tum paalan karta
Swami tum paalan karta
Mein murakh khalkhami
Mein sevak tum swami
Kripa karo Bharta
Om jai Jagdish hare
Tum ho ek agochar
Sab ke pranpati
Swami sab ke pranpati
Kis vidhi milun Dayamaya
Kis vidhi milun Dayamaya
Tum ko mein kumti
Om jai Jagdish hare
Deen bandhu dukh harta
Thakur tum mere
Swami Rakshak tum mere
Karuna hast badhaao
Apni sharani lagao
Dwar pada mein tere
Om jai Jagdish hare
Vishay vikar mitaao
Paap haro Deva
Swami kashat haro Deva
Shradha bhakti badaao
Shradha prem badaao
Santan ki sevaa
Om jai Jagdish hare
Tan man dhan sab
kuchh hai tera
Swami sab kuchh hai tera
Tera tujhko arpan,
kya laage mera
Om jai Jagdish hare
Om jai Jagdish hare
Swami jai Jagdish hare
Bhakt jano ke sankat
Daas jano ke sankat
Kshan men door kare
Om jai Jagdish hare
Karpur gauram karunaa avataaram,
Sansaar saaram bhujgendra haaram,
Sadaa vasantamhridayaarvinde,
Bhavam Bhavaani sahitam namaami
Mangalam Bhagawaan Vishnu
Mangalam Garuda Dhwaja
Mangalam Pundari Kaaksha
Mangalaaya Tanno Hari
Sarva Mangala Maangalye
Shive Sarvaatha Saadhike
Sharanye Trayambake Gauri
Naaraayani Namastute
ओम जय जगदीश हरे कब लिखा गया था?
इस आरती की रचना १८७० में की गई थी
जगदीश कौन से भगवान को कहते हैं?
जगदीश का अर्थ होता है दुनिया के भगवान इस शब्द का मतलब दुनिया के भगवान से है यह नाम काफी शुभ माना जाता है इसलिए अधिकतर छोटे बच्चों का नाम जगदीश रखा जाता है|